Shiv Puja: शिवलिंग पर क्यों टपकता रहता है बूंद-बूंद पानी? जानें क्या है कारण

भगवान शिव को देवों का देव महादेव कहते हैं। भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से जीवन आनंदमयी बना रहता हैं। भगवान शिव को शंकर, महादेव और नीलकंठ जैसे कई नाम हैं। उनका एक नाम भोलेनाथ भी हैं, क्योंकि शिव कोमल हृदय व करुणा वाले देव हैं, इसलिए कहते हैं की भगवान शिव भक्तों की सच्ची श्रद्धा को देखकर ही कृपा बरसा देते हैं. भगवान शिव जो पूरे पृथ्वी लोक के पालनहार हैं। 

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शिवलिंग पर 24 घंटे बूंद-बूंद पानी टपकता रहता है

आप सभी शिव मंदिर अक्सर जाते ही होंगे और आपने ये तो जरूर गौर किया होगा की शिवलिंग के ऊपर तांबे या मिट्टी के कलश से जल की बूंद टपकते रहती है। क्या आप जानते हैं इसके पीछे के कारण या रहस्य के बारे में यदि नहीं तो आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि स्टैंड के ऊपर रखे कलश से जल की बूंद टपकने के पीछे क्या महत्व है और शिवलिंग के जलाधारी नलिका को क्यों नहीं लांघ जाता है।

शिवलिंग पर बूंद-बूंद पानी टपकने का रहस्य

Shiv Puja :- शिवपुराण और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कलश से टपकते हुए जल का संबंध समुद्र मंथन से किया गया है। कहा जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब अमृत निकलने से पहले हलाहल विष का पात्र निकला था। जब हलाहल विष का पात्र निकला था तब सभी देवता और असुर परेशान हो गए की अब इस विष का क्या करें। समुद्र मंथन के नियम के अनुसार जब कोई विष धारण करेगा तभी मंथन से अमृत निकलेगा। ऐसे में देवता और असुर के सलाह और बातचीत के बाद सभी ने भगवान शिव को याद किया और सभी ने उनसे विष पीने के लिए प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान भोलेनाथ देवताओं और असुरों की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए विषपान किए। विष पीने के बाद भगवान शिव का कंठ (गला) नीला पड़ गया और उनके पूरे शरीर में जलन होने लगा। तब उनके सिर और शरीर को ठंडा एवं शांत करने के लिए उनके ऊपर जलाभिषेक किया गया। पानी डालने से उन्हें जलन से राहत मिली। जिसके बाद से उन्हें जलाभिषेक अत्यंत प्रिय हो गया। विष धारण करने के बाद जब उनका कंठ नीला पड़ गया तब भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा। इसलिए शिवलिंग पर जलाभिषेक करना शुभ माना जाता है.

कलश और स्टैंड का महत्व

मान्यता है कि तीन पाए वाले स्टैंड में त्रिदेव यानी ब्रम्हा, विष्णु और महेश का वास होता है और तांबे के कलश से चढ़ाया हुआ जल गंगाजल के समान माना गया है। इसलिए मंदिरों में तीन पाए वाले स्टैंड में तांबे का कलश रखा जाता है। महादेव का मस्तक और गला ठंडा रखने के लिए शिवलिंग के ऊपर कलश स्थापित किया जाता है, जिससे 24 घंटे पानी बूंद-बूंद शिवलिंग पर टपकता रहता हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक करता है, उस पर शिवजी की कृपा सदैव बनी रहती हैं। हर हर महादेव ! जय भोलेनाथ। 

आखिर क्यों नहीं लांघी जाती है जलाधारी

सभी मंदिर और देवी-देवताओं की परिक्रमा पूरी की जाती है लेकिन शिवलिंग की परिक्रमा आधी की जाती है यानी अर्ध चंद्र परिक्रमा। आधी परिक्रमा को लेकर पुराणों में यह मान्यता है कि जलाधारी से निरंतर जल की धारा बहती रहती है इसलिए उसे लांघने से पाप लगता है।

प्रेम से बोलिये भोलेनाथ की जय ! हर हर महादेव 

क्या आपको ये पता है :-

आशा करते है की आपको जलाभिषेक और टपकते हुए जल के पीछे का रहस्य के बारे में पता चल गया होगा। हमें कमेंट करके बताएं की आपको ये जानकारी कैसी लगी। इस लेख को लाइक और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और ऐसे ही आर्टिकल के लिए जुड़े रहें तेज आदमी के साथ।

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