Suhagrat पहली रात होती है जिसमे पति और पत्नी साथ में रात बिताते है।
यह रात भविष्य के आपसी सम्बन्धों के निर्माण में मददगार साबित होती है और दोनों के बीच विश्वास, सम्मान, प्रेम और सहयोग की नींव रखती है।
जय माल, सिंदूर दान, सात फेरे, कन्यादान, गठबंधन जैसी कई रस्मों के बाद सुहागरात (Suhagraat) मनाया जाता है।
इस शब्द को हम सिर्फ एक ही चीज से जोड़कर देखते हैं, लेकिन आपको बता दूं कि इसका मतलब उतना ही पवित्र है जितना शादी का होता है।
जब किसी लड़की और लड़की की शादी होती है। तब उसके घर वाले उसके लिए कई सारे रीति-रिवाजों को निभाते हैं।
अपने नए जीवन की शुरूआत करते हुए पति अपनी पत्नी को उपहार देते है। इसको दुल्हन की मुंह दिखाई भी कहा जाता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, सुहागरात की रात भगवान राम ने देवी सीता को एक पति-व्रत रहने का वचन दिया था।
इसी वचन को तोहफ़ा में देवी सीता ने स्वीकार किया था। तभी से सुहाग रात की रात में तोहफ़ा देने का रिवाज़ चल पड़ा। आजकल भी लोग अपनी सुहागरात पर एक-दूसरे को तोहफ़ा देते हैं।
सुहागरात सिर्फ दो जिस्मों का मिलन नहीं बल्कि एक नए जीवन की शुरूआत भी होती है।